Tuesday, January 26, 2010

श्मशान पर बंटा समाज

क्या स्वर्ग में भी अलग-अलग जातियों के लोग अलग-अलग रहते हैं?
मैं वर्ष १९९६ के बाद से कई बार जोधपुर आया, लेकिन अप्रैल २००८ के पहले सप्ताह में दैनिक भास्कर से जुड़ने के बाद मुझे मारवाड़ की संस्कृति को नजदीक से देखने का मौका मिला. अतिथि सत्कार और सामाजिक सरोकार में यहां के लोगों का कोई मुकाबला नहीं. मान-मनुहार करना तो कोई इनसे सीखे. कोई भी मुसीबत आने पर पूरे शहर और राज्य के लोग एकजुट हो जाते हैं. १३ मई, २००८ को जयपुर में बम ब्लास्ट हो या ३० सितंबर, २००८ को मेहरानगढ़ (जोधपुर फ़ोर्ट ) के चामुंडा मंदिर में हुआ हादसा. सभी धर्म, समाज और जाति के लोगों ने एकजुट होकर पीड़ितों की मदद की.
हाल ही एक जन्म दिवस समारोह में भाग लेने के लिए मैं जोधपुर के भूतेश्वर महादेव मंदिर गया. यह मंदिर शहर के सिवांची गेट स्थित श्मशान क्षेत्र में है. इस क्षेत्र में कई मंदिर हैं. इन मंदिरों के परिसरों को पेड़-पौधे लगा कर आकर्षक ढंग से सजाया गया है. इससे पूरा श्मशान क्षेत्र रमणीक स्थल में तब्दील हो गया है. यह ब्लौग पढ़ने वालों को लग रहा होगा कि इसमें खास बात क्या है? सिवांची गेट स्थित श्मशान क्षेत्र में अलग-अलग जातियों और समाज के लोगों ने अलग-अलग परिसरों शवों के अंतिम संस्कार के लिए घाट बना रखे हैं. यह तो जातिवाद की इंतहा है. क्या लोग मरने के बाद जात-पांत पर विश्वास करते हैं? क्या स्वर्ग में भी जातिप्रथा कायम है? सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक सरोकार की मिसाल जोधपुर में ऐसी व्यवस्था क्यों? धार्मिक मान्यता के अनुसार मुस्लिम और ईसाई संप्रदाय के लोगों के लिए अलग कब्रिस्तान की बात तो समझ में आती है. लेकिन हिंदू धर्म के लोगों के लिए एक ही जगह पर अलग-अलग श्मशान घाट की आवश्यकता क्यों? मेरे मित्रों ने मुझे बताया कि राजस्थान में हर जगह ऐसी ही स्थिति है. स्थानीय निकाय और जिला प्रशासन ने तो अलग-अलग जाति और समाज के नाम पर निशुल्क पट्टे जारी कर रखे हैं. एक तरह से राज्य सरकार और जिला प्रशासन भी गली-मोहल्लों को तो छोड़िए, श्मशान क्षेत्र तक में जातिवाद को बढ़ावा दे रहे हैं.

Thursday, January 14, 2010

महान गणितज्ञ डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह का पत्र जिसमें उन्होंने देश की शि॒क्षा तथा भारत और अमेरिका की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी की थी.

महान गणितज्ञ आर्यभट्ट और रामानुजम की श्रेणी में शामिल डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह जब कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी में शोध कर रहे थे, तब उन्होंने नेतरहाट विद्यालय के अपने सहपाठी स्व. ई. राम प्रसाद (जिला खनन पदधिकारी, बिहार सरकार ) के साथ पत्र व्यवहार में लिखा था --
नेतरहाट विद्यालय को प्रतिभाशाली छात्र उत्पन्न करने चाहिए, जो भविष्य के गणितज्ञ और वैज्ञानिक बन सकें. 
देश की शिक्षण संस्थाओं में जरूरत से ज्यादा राजनीति चलती है.
जिस व्यक्ति के हृदय में देशप्रेम जोर नहीं मारता और जिसे आराम और विलास की वस्तुओं के सेवन का अभ्यास हो जाता है, वह अमेरिका से भारत लौटने के बारे में नहीं सोचता है.
अमेरिका और भारत के जनसाधारण के जीवन में मूल फ़र्क पैसे का है. अमेरिका के लोग संपन्न जरूर हैं, लेकिन कई दृष्टियों से भारतीयों से कम सुखी हैं.
यहां प्रस्तूत है डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह द्वारा लिखी गई दुर्लभ चिट्ठी की छायाप्रति, जो उनके विचारों का
आईना
है ---










Friday, January 8, 2010

People of Bihar are not Criminals

People of Bihar are not Criminals
My son is a student of class VIII in Delhi Public School, Jodhpur. Three weeks ago he asked me, is the incidences of crime is more in Bihar compared to other states? I answered, absolutely not. But why are you asking such question? He told me that one of his friend was telling so. I was shocked.

Why the image of Bihar is so bad? People of Bihar are selfrespecting, but not criminals. They are little violent due to self respect in nature.

The data collected by National Crime Records Bureau (CRIME IN INDIA - 2007) show that based on the rate of criminality the rank of Bihar is 28, below than 27 States & UT. (Table -1). It proves that the people of Bihar are not criminals in nature. The source of the tables from 1 to 15 is CRIME IN INDIA – 2007 published by National Crime Records Bureau. The tables (Table 1 to 15 ) are the mirror of incidence of Cognizable Crimes (IPC) in States & UTs During 2007 and show that crime rate in Bihar is very low in comparison with other States & UT.



Cognizable Crimes : A cognizable offence or case is defined as the one which an officer in-charge of a police station may investigate without the order of a magistrate and affect arrest without warrant. The police has a direct responsibility to take immediate action on the receipt of a complaint or of credible information in such crimes, visit the scene of the crime, investigate the facts, apprehend the offender and arraign him before a court of law having jurisdiction over the matter.
Crime Rate : The crime rate defined as the ‘number of crimes’ per 1,00,000 population is universally taken as a realistic indicator since it balances the effect of growth in population.
Population : Mid-year estimated population is used for calculating crime rate (i.e. number of crimes per one lakh of population). The estimated population of the country as on 1st July, 2007 is 11,366 lakhs as compared to 9,552 lakhs in the year 1997. The population of the country in the decade (1997- 2007) has increased by 19.0% with an annual exponential growth rate of 1.8%.